05 Jan, 2023
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Organic Farming
ऑर्गेनिक खेती
Organic Farming यानी जैविक खेती का महत्व भारत के किसानों से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता है। भारत में पिछले करीब चार हजार वर्षों से चली आ रही ऑर्गेनिक खेती को तब झटका लगा जब बढ़ती जनसंख्या और मौसम में बदलाव के चलते लोगों तक खाद्य वस्तुओं की तेजी से आपूर्ति करने के लिए खेती में रासायनिक उर्वरक, केमिकल्स, कीटनाशक और कई जहरीली वस्तुओं का इस्तेमाल होना शुरू कर दिया गया।
इन वस्तुओं के इस्तेमाल से न सिर्फ इंसानों की सेहत पर असर पड़ा बल्कि इससे वातावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा। इन्हीं सब कारणों की वजह से लोगों का ध्यान एक बार फिर से जैविक खेती की ओर आकृष्ट होना शुरू हुआ है। यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार किसानों को कैमिकल और पेस्टिसाइड का कम इस्तेमाल करने के लिए सलाह दी है। लेकिन किसानों के पास organic खेती से जुड़ी ज्यादा जानकारी उपलब्ध न होने के कारण उन्हें कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। किसानों की इस परेशानी को दूर करने के लिए आज हम जैविक खेती के फायदे और नुकसान आपके समक्ष रखेंगे तो आइए पढ़ते हैं विस्तार से।
जैविक खेती करने पर भूमि, जल और वायु प्रदूषण बहुत कम होता है।
इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों और केमिकल फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल नहीं होता है।
जैविक खेती करने पर पौष्टिक और जहर मुक्त भोजन का उत्पादन होता है।
जैविक खेती से उपजने वाले खाद्य पदार्थों का स्वाद भी नियमित रूप से उपजे खाद्य वस्तुओं से बेहतर होता है।
खाद्य वस्तुओं में कई प्रकार के विटामिन भी पाए जाते हैं।
इससे उपजने वाले वस्तु पशु चारा के रूप में भी अच्छे होते हैं।
जैविक खेती करने पर मिट्टी के पोषण को भी बढ़ावा मिलता है और इससे मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार होता है।
यह किसानों के लिए काफी लाभदायक होता है क्योकि इसमें पानी का इस्तेमाल बहुत कम होता है और साथ ही महंगे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का कोई उपयोग नहीं किया जाता है।
यह पर्यावरण के अनुकूल होता है साथ ही Reduce, Reuse और Recycle को भी बढ़ावा देता है।
जैविक खेती ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर प्रदान करता है जिससे किसानों और मजदूरों की आर्थिक हालातों में भी सुधार होता है।
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Organic Farming के नुकसान
इसमें खाद्य पदार्थों की उत्पादकता बहुत कम होती है।
पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक खेती से फसलों की उपज काफी कम होती है।
जैविक खेती में आधुनिक मशीनों के इस्तेमाल के बजाय मानवीय श्रम की आवश्यकता ज्यादा होती है।
इसमें किसानों को कुशलता के साथ ही जैविक खेती के सभी घटकों का ज्ञान भी रखना पड़ता है।
पारंपरिक खेती के मुकाबले ऑर्गेनिक खेती करने में ज्यादा समय लगता है।
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